आज का आधुनिक जीवन हमें शोर से बहरा करने वाला थकान और पराजित करने वाला हो सकता है हम शोर को धीमा कर के कुछ पल शांति पाने के तरीके खोजना चाहते हैं ऊर्जा और विवेक से भरपूर इस किताब में विश्व भर में प्रख्यात शिक्षक एवं लेखक प्रेम रावत बताते हैं कि हम सभी अपने अंदर शांति का एक छुपा हुआ स्त्रोत लेकर चलते हैं पर हमें यह सिखाया नहीं गया है कैसे हम इस शोर को बंद करके अपने अंदर की आवाज के माध्यम से शांति के उस गीत को सुन सकते हैं जो हम सबके अंदर ही बज रहा है एक बार जब हम सचमुच में अपने अंदर की आवाज को सुनना सीख जाएंगे तब हम उस शांति के साथ इस दुनिया का सामना कर सकते हैं स्वयं की आवाज पुस्तक की मुक्त कंठ से प्रशंसा की गई इस दौरान रणवीर राजपूत आरेंद्र कुशवाहा मौजूद रहे
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