हिन्दु रीति-रिवाज में पिता बेटी का कन्यादान करता है। लेकिन, यहां ईश्वर को कुछ और मंजूर था। सोनी के पिता मृत्यु हो गई । ब्लड कैंसर के मरीज थे। उनकी मृत्यु इलाज के दौरान हो गई थी। बक्सर इटाढ़ी की महिला समाजसेवी डेंटिस्ट डॉ श्वेता पाठक जो खुद कुंवारी है उसने सोनी के पिता स्व गोरख सिंह को इलाज के दौरान मदद की थी। श्वेता ने उन्हें उनकी बेटी की शादी कराने का भरोसा दिया था। इटाढ़ी गांव मे एक डॉक्टर बिटिया ने अपने घर की सदस्य की तरह रहने वाली बिटिया के पालन-पोषण, शिक्षा-दीक्षा के बाद उसकी धूमधाम से शादी का बीड़ा उठाते हुए कन्यादान कर सामाजिक दायित्वों का निर्वहन किया। इटाढ़ी गांव में श्वेता द्वारा पेश किया गया मिसाल चर्चा का विषय बन गया है। हर कोई उनका सराहना करते हुए नहीं थक रहा। हर मां- बाप का सपना होता है कि उसकी बेटी की डोली धूमधाम से उठे, लेकिन कभी-कभार ऐसी परिस्थिति बन जाती है, जिसके कारण यह संभव नहीं हो पाता। कुछ ऐसा ही इटाढ़ी की एक बेटी सोनी कुमारी के साथ हुआ। शादी से पहले ही सोनी के पिता उसका साथ छोड़ गये। सोनी के पिता की मृत्यु ब्लड कैंसर से इलाज के दौरान हो गई थी। सोनी के पिता स्व गोरख सिंह को इलाज के दौरान ही गांव की कुंवारी महिला समाजसेविका स्वेता पाठक ने वादा किया था। की हम आपकी बेटी की शादी कराएंगे, सो बुधवार को बड़े ही धूम धाम से सोनी की शादी फेफना के राज विजय से हिंदू रीति रिवाज से सम्पन्न हुआ । डॉ स्वेता पाठक ने बताया कि विवाह का पूरा खर्च का बीड़ा हमने स्वयं उठाया। उसने बताया कि सोनी चार भाई बहनों में सबसे छोटी थी। उसकी मां चिंता देवी को पति की मौत के बाद से ही उसकी शादी की चिंता सता रही थी। लेकिन, हमने उनसे वादा किया था की आप शादी तय कीजिए बाकी सब हम पर छोड़ दीजिए। सोनी शादी के योग्य हो गई थी। मां ने उसकी शादी के लिए उसने रिश्ता भी ढूंढ लिया, लेकिन विवाह करने के लिए पैसे नहीं थे। स्वेता ने सोनी की शादी का पूरा खर्च उठाया और स्वयं कन्यादान भी की। शादी समारोह के गवाह बनने वाले गर्व से कह उठे आज धन्य हुआ इटाढ़ी गांव। डॉक्टर बिटिया श्वेता के फौलादी हौसला ने सामाजिकता को गौरवान्वित कर दिया है।
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