कहावत हैं कि जितनी बडी चादर हो उतना ही पैर पसारना चाहिए, ये बात इंसानों के लिए है लेकिन अगर यह कही सरकारी विभाग पर लागू कर दी जाए तो आप अंदाजा लगा सकते हैं की उस विभाग का हाल कितना खस्ताहाल होगा, क्योंकि विभागों के पास अकूत जनहित का कार्य रहता है. हम बात कर रहे हैं बस्ती जनपद के नगर पालिका परिषद की, जिसकी सलीना आमदनी करीब 50 लाख 29 हजार मात्र है लेकिन अगर बात खर्च की की जाए तो नगर पालिका बस्ती की सालाना खर्च 44 करोड़ 20 लाख रुपए है, जिसमें अकेले कर्मियों के वेतन पर ही 24 करोड़ रूपए खर्च किए जाते हैं, 2022-23 में राज्य वित्त से नगर पालिका को मिले 19 करोड़ 27 लाख रुपए वेतन देने में ही चले गए, फिर भी वेतन का भार कम नहीं हुआ, आंकड़े देख के भी आप अंदाजा लगा सकते हैं की नगर पालिका बस्ती के ऊपर कितना कर्ज का बोझ होगा, जो विभाग अपने कर्मचारियों को वेतन न दे पा रही हो उससे विकास की उम्मीद करना ही बेईमानी होगी अगर बात की जाए नगर पालिका के देनदारी की तो आज भी नगर पालिका बस्ती के पास करोड़ों रुपए की देनदारी है, विज्ञापन में नगर पालिका की एक करोड़ की देनदारी है तो वही सेवानिवृतकर्मियों की देयता तीन करोड़, नगर निगम कर्मियों के डीए बोनस पर दो करोड़ और बोर्ड फंड से कराए गए कार्य में दो करोड़ रुपए तक की देनदारी आज भी बाकी है, जिस विभाग की सालाना इनकम ही 50 लाख हो वो इतनी बड़ी देनदारी कैसे कर सकती है वही नगर पालिका ईओ दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया की बीते वर्षों और कोरोना काल में राजस्व वसूली काफी कम रहने के कारण नगर पालिका घाटे में चल रही है, वित्तीय वर्ष में हम लोगों द्वारा राजस्व वसूली सहित अन्य कार्य में तेजी लाया जाएगा जिससे नगर पालिका को घाटे से उबारा जा सके
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