प्रखंड क्षेत्र के अति सुदूरवर्ती क्षेत्र पताल पंचायत के डमारु फुलझर जो केरेडारी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित है! गांव के लोग आज के आधुनिकता भरे दौर में भी सड़क सुविधा से महरूम है! आजादी के सात दशक बाद भी गांव तक पक्की सड़क तो दूर की बात कच्ची सड़क भी ग्रामीणों को नसीब नहीं हो पाया है! लोग घने जंगल और ऊंचे ऊंचे पहाड़ों से होकर पंचायत मुख्यालय और प्रखंड मुख्यालय आते हैं! सबसे बड़ी विडंबना इस बात कि है कि देश के भविष्य बच्चे घने जंगलों और ऊंचे पहाड़ों का सीना भेदते हुए स्कूल पहुंचते हैं! घने जंगलों और पहाड़ों के बीच हमेशा जान माल की क्षति होने की संभावना बनी रहती है! डमारु व फुलझर गांव के ग्रामीण सड़क से वंचित होने के कारण बारिश के मौसम में गांव से 4 किलोमीटर दूरी पर स्थित कोले स्टेशन खटिया की डोली व कांधे के सहारे मरीज को इलाज कराने आते हैं! ग्रामीणों की नियति कहें या फिर तंत्र की लापरवाही आजादी के सात दशक बाद भी डमारु व फुलझर के ग्रामीण सड़क के साथ साथ आंगन बाड़ी केंद्र जनवितरण प्रणाली की दुकान सहिया सुविधा से वंचित है। गांव तक सड़क नहीं होने से ग्रामीण 4 किमी खड़ी चढ़ाई पैदल चढ़ कर सड़क तक पहुंचते हैं! सबसे बड़ी समस्या तब पैदा होती है जब गांव में कोई महिला प्रसव वेदना से पीड़ित हो या फिर किसी की अचानक तबीयत खराब हो जाए! डमारु व फुलझर गांव में कुल 91 घर हैं जिनकी आबादी 389 के लगभग है! गांव को जाने वाली मुख्य सड़क भी दुर्गम पहाड़ियों से हो कर गुजरती है! ग्रामीण टकटकी लगाए सड़क का सपना देख रहे! इतनी घोर कठिनाइयों के बावजूद भी ग्रामीण प्रत्येक बरसात के बाद श्रम दान कर आवागमन के लिए सड़क बनाते हैं! ग्रामीण बबलू महतो सुरेश महतो संतोष महतो नरेश महतो मोहन करमाली टेकलाल महतो का कहना है कि उन्होंने कई बार शासन व प्रशासन से सड़क बनाने की गुहार लगाई है, लेकिन ग्रामीणों के मांग पर कभी ध्यान नहीं दिया जा रहा है! बताया कि केवल नेता वोट मांगने के लिए गांव में आते हैं और चुनाव जीतने के बाद मुड़कर नहीं देखते है! क्या कहते हैं प्रखंड प्रमुख सुनीता :: प्रमुख सुनीता देवी ने कहा कि पताल पंचायत के फूलझर और डमारू गांव में सड़क पानी जनवितरण प्रणाली आंगन बाड़ी केंद्र के लिए हरसंभव प्रयास कर ग्रामीणों को दिलाने का काम करूंगी!!
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