राष्ट्रीय संत कनक बिहारी दास जी महाराज को मोनी कला कनक धाम में आज अंतिम विदाई दी गई। दिगंबर अखाड़े के महंत और उनके अखाड़े से जुड़े समस्त संत महात्माओं ने विशेष मंत्र उच्चारण के साथ उनकी अंत्येष्टि कराई। आश्रम में उनके शिष्य श्यामदास ने उन्हें मुखाग्नि दी इस दौरान हजारों श्रद्धालु की आंखें नम हो गई। लगभग 35 साल पहले नोनी कला आकर यहां अपनी तपोस्थली बनाने वाले महंत कनक बिहारी दास जी महाराज के अंतिम दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु लोनी कला मंदिर पहुंचे थे। यहां सोमवार देर रात से श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर परिसर में उड़ने लगी थी, दोपहर 3:00 बजे तक उनके दर्शन कराए गए उसके बाद विधि विधान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया तपस्थली के पीछे किया गया अंतिम संस्कार महंत जी महाराज के अंतिम संस्कार उनकी तपस्थली नोनी काला राम जानकी मंदिर के पीछे किया गया जहां विधि विधान के साथ अनुष्ठान के बीच मंत्र उच्चारण के साथ उन्हें मुखाग्नि दी गई। पूर्व विधायक चौधरी गंभीर सिंह ने बताया कि महाराज श्री की चिता में 4 क्विंटल चंदन की लकड़ी या रखी गई थी, 12 से 15 लीटर घी भी बुलाया गया था नहीं था हमारे संवाददाता ललित रघुवंशी ने निरंतर इस बड़ी कवरेज पर ध्यान देकर सारी एकजुटता जताते हुए वहां पर अपना श्रमदान भी दिया और व्यवस्था बनाने में सहयोग दिया क्षेत्र के सभी मीडिया कर्मियों ने व्यवस्था बनाने में भी सहयोग किया पर्याप्त पुलिस बल राष्ट्रीय संत का दर्जा पाने वाले कनक बिहारी दास जी महाराज के अंतिम संस्कार में लगभग 25-30 हजार की संख्या में पब्लिक थी लेकिन यह व्यवस्था बनाने के लिए नाम मात्र का पुलिस बल लगाया गया था। हालांकि कुछ पुलिसकर्मी लगातार व्यवस्था बनाते नजर आए लेकिन जिस हिसाब से भीड़ थी उस हिसाब से यहां पुलिस नहीं लगाई गई थी, अंतिम संस्कार के समय भक्तों में धक्का-मुक्की भी हुई दूर-दूर से पहुंचे थे श्रद्धालु कनक बिहारी दास जी महाराज का अंतिम दर्शन पाने के लिए गुना विदिशा गंजबासौदा होशंगाबाद नरसिंहपुर महाराष्ट्र सहित आसपास के क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रद्धालु भक्त पहुंचे थे जिन्होंने कनक बिहारी दास जी महाराज के अंतिम दर्शन किए।
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