अपनी-अपनी मनोकामनाएं लेकर श्रद्धालु पहुंच रहे, जिसमें कोई नंगे पैर पैदल जा रहा, तो कोई दंड भरकर मंदिर में हाजिरी दे रहा है। नवरात्र पर्व को लेकर मंदिर को आकर्षक लाइटों से सजाया गया है। कतार में लगकर श्रद्धालुओं ने सोमवार को जल चढ़ाया। गौरतलब है कि अबार माता मंदिर पहुंचने के लिए तीन रास्ते है। रास्ता टीकमगढ़ सागर रोड से रामटोरिया होते हुए, दूसरा रास्ता सागर शाहगढ़ से होते हुए और तीसरा रास्ता उत्तरप्रदेश ललितपुर के गिरार होते हुए है। हालांकि घुवारा से रामटोरिया होते हुए यह रास्ता अच्छा है। इसलिए श्रद्धालु यहीं से मंदिर के लिए जाते है। पहाड़ की चट्टान पर मंदिर बना हुआ है। मंदिर में चढ़ाने के लिए प्रसाद, मां की चुनरी सहित खान पान के लिए स्वल्पहार और खाने की दुकानें भी लगी हुईं हैं। मध्य प्रदेश छतरपुर जिले बड़ामलहरा विधानसभा में पड़ता है। अबार माता मंदिर। दक्षुओं द्वारा स्थापित किया गया है मंदिर बुजुर्ग बतातें हैं कि क्षेत्रीय दक्षुओं द्वारा मंदिर स्थापित किया गया था। कहा जाता है कि यादव सामुदायिक लोगों की कुलदेवी आराध्य है जैसे ही मातारानी के दर्शन करके आप घूमेंगे, तो मंदिर के चारों ओर कई पत्थर की गुफाएं है। करीब 50 फुट की ऊंचाई चट्टान पर एक छोटा माता रानी का मंदिर है, एक-दूसरी चट्टान का संपर्क न होने के कारण चट्टान वाले मंदिर पर दर्शन करने के लिए नहीं पहुंच पाते हैं बल्कि माता रानी के दर्शन नीचे खड़े होकर ही करने पड़ते हैं परिक्रमा कर ग्राउंड में भोलेनाथ भगवान मंदिर भैरव बाबा मंदिर राधा कृष्ण मंदिर ऐसे अनेक देवी देवता विराजमान है और परिक्रमा कर सभी एक-दूसरे मंदिर पहुंचा जा सकता है। और दर्शन प्राप्त हो सकते हैं यहां पर प्रत्येक वैशाख माह में 15 दिवस का विशाल मेला लगता है। जहां पर राई नृत्य होता हुआ आपको मिलेगा। 50 सीढ़िया चढ़ते ही मातारानी के दर्शन मंदिर प्रागंण में प्रवेश उपरांत 50 सीढ़ियां चढ़ने के बाद ही आप माता रानी मंदिर में प्रवेश कर जाएंगे। मंदिर में प्रवेश करने के बाद ही परिक्रमा शुरु हो जाएगी, जहां पर परिक्रमा करते-करते मंदिर मिलेंगे। इसमें परिक्रमा करते हुए अबार माता के दर्शन होंगे। नवरात्र पर्व पर मातारानी के भव्य झांकी भी सजी हुई है
Posted inMadhya Pradesh