सावन के प्रथम सोमवार गैवीनाथ धाम में उमड़ा बाबा भोलेनाथ के भक्तों का सैलाब
महाकाल के उपलिंग के नाम से भी जाने जाते हैं गैविनाथ बाबा
विजुअल,बाइट
रिपोर्ट:-आलोक गर्ग
सेंटर:-बिरसिंहपुर
एंकर:- श्रावण मास की शुरुआत के पहले सोमवार को सतना जिले के बिरसिंहपुर स्थित गैवीनाथ धाम में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। शिवलिंग कर जलाभिषेक और पुष्पार्पण के लिए भक्तों में होड़ लगी रही। बता दें कि गैवीनाथ धाम पर लाखों लाख श्रद्धालुओं की आस्था है। भोलेनाथ यहां शिवलिंग के रूप में चूल्हे से निकले थे। 16वीं शताब्दी में औरंगजेब ने शिवलिंग पर कई वार किए तो भोलेनाथ ने उस बुतपरस्त को न केवल सबक सिखाया बल्कि घुटने टेकने पर भी मजबूर कर दिया था । यहां प्रत्येक सोमवार गैवीनाथ के अभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की अटूट भीड़ उमड़ती है, मगर महाशिवरात्रि और श्रावण मास का मेला देखते ही बनता है। उत्तराखंड के चारों धाम की यात्रा के बाद गंगोत्री के जल को गैवीनाथ शिवलिंग पर चढ़ाने का विशेष महत्व है। किवदंती के अनुसार कभी यह देवपुर नगरी हुआ करती थी… यहाँ के राजा थे वीरसिंह…। राजा वीर सिंह उज्जैन महाकाल के अनन्य भक्त थे। राजा रोजाना यहां से उज्जैन जाकर महाकाल के दर्शन करते थे। बाद में राजा वृद्ध हो गए तो वो उज्जैन जाने में असमर्थ रहने लगे। इस पर उन्होंने महाकाल से बिरसिंहपुर आने के लिए कहा। महाकाल उनकी भक्ति से इतने अभिभूत हुए कि वो बिरसिंहपुर में गैवीनाथ के घर शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए। गैवीनाथ धाम आज अटूट श्रद्धा का केंद्र है। लोग बड़ी संख्या में यहां मनौती लेकर आते हैं। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु शिव और पार्वती का गठबंधन करते हैं। एक छोर से दूसरे छोर तक विशाल तालाब के ऊपर से शंकर-पार्वती का गठबंधन किया जाता है। सावन में यहां भक्तों का रेला उमड़ पड़ता है। जल और बिल्वपत्र चढ़ाने के लिए होड़ मच जाती है।
बाइट – शिवकुमार श्रीमाली मंदिर सचिव
बाइट – रोहित पाठक भक्त