समाचार का शीर्षक पढ़कर चैकियें मत। यह सत्य है। यह मामला जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा की ग्राम पंचायत सिलौड़ी का है जहां पर कहने को यहां की सरपंच पंचो बर्मन है लेकिन हकीकत में उक्त पंचायत का संचालन पंचो बर्मन के पति संतोष बर्मन के द्वारा किया जा रहा है। यहां पर महत्वपूर्ण बात यह है कि संतोष बर्मन शासकीय सेवा में है और वर्तमान समय में वह सिलौड़ी संकुल में जनशिक्षक जैसे महत्वपूर्ण पद पर पदस्थ है इसके बाद भी उनका ध्यान शिक्षा विभाग से भटककर पंचायत में ज्यादा लग रहा है और शासन द्वारा जो भी कार्यक्रम किये जाते है उसमें सरपंच पति की मौजूदगी आसानी से देखने को मिल जाती है । अभी कुछ दिनों पहले ही जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा में बड़वारा विधायक बंसत सिंह के द्वारा टेंकर वितरण का कार्यक्रम रखा गया था जिसमें ग्राम पंचायत सिलौड़ी को भी टेंकर वितरित किया गया। कार्यक्रम के दौरान जनशिक्षक संतोष बर्मन भी पूरे कार्यक्रम में मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान जैसे ही सिलौड़ी ग्राम पंचायत का बुलाया गया वैसे ही जनशिक्षक संतोष बर्मन पहुंचे, जबकि यहां पर उनकी पत्नी जो सिलौड़ी सरपंच है उनको पहुंचना था। कार्यक्रम के दौरान यह मामला जनचर्चा का विषय बना रहा । सूत्रों ने बताया कि पंचायत भवन जो कक्ष सरपंच के लिये आवंटित है उसमें भी जनशिक्षक संतोष बर्मन ही बैठते है और कभी कभार ही स्कूल जाते है । अधिकांश समय उनका पंचायत में ही गुजरता है। भगवान भरोसे बच्चों का भविष्य यहां पर यह उल्लेखनीय है कि जिस जनशिक्षक पर बच्चों का जीवन संवारने का जिम्मा है उसके द्वारा ही नियमों को ताक पर रखकर अपनी पत्नी के कार्यों को सरपंच की भूमिका में किया जा रहा है जिससे बच्चों का भविष्य अधर में है। जनशिक्षक का यह भी कर्तव्य बनता है कि वह संबंधित स्कूलों की लगातार मानिटरिंग करें लेकिन जनशिक्षक संतोष बर्मन के द्वारा नियम विरूद्ध तरीके से ग्राम पंचायत सिलौड़ी में सरपंच का काम किया जा रहा है। महिला आरक्षण तार-तार पंचायत आम निर्वाचन में सरकार द्वारा महिलाओं की भूमिका बढ़ाने के लिये 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया या है लेकिन अधिकांश पंचायतों में सिलौड़ी जैसे हाल है और जहां भी महिला सरपंच है उन पंचायतों का संचालन उनके पति द्वारा किया जा रहा है या उनके सगे संबंधियों के द्वारा किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि उक्त जनशिक्षक का मन शिक्षा विभाग में कम लगात है। राजनीतिक क्षेत्र में उनको ज्यादा चेष्टा है। लिहाजा जहां एक ओर शासन द्वारा प्रतिमाह भारी भरकम वेतन दिया जा रहा है लेकिन उक्त जनशिक्षक सिलौड़ी सरपंच की भूमिका में काम कर रहे है। ऐसे में सरकार द्वारा महिलाओं को जो आरक्षण दिया जा रहा है उसका कोई औचित्य साबित नहीं हो रहा है । सूत्रों ने बताया कि ढीमरखेड़ा विकासखंड में अधिकांश ऐसे जनशिक्षक है जो अपने मूल कार्य को छोड़कर किसी अन्य कार्य में संलग्न है। जानकारी यह भी लगी है कि ऐसे जनशिक्षकों को नेताओं का संरक्षण है। धारा 40 की कार्यवाही का है प्राधवान विदित हो कि यदि पंचायत में महिला सरपंच है है और उक्त पंचायत का संचालन और पंचायत की बैठकों में महिला सरपंच के स्थान पर उसका पति या कोई अन्य सगे संबंधी शामिल हो रहे है तो संबंधित सरपंच के विरुद्ध मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 में पंचायत पदाधिकारियों को हटाये जाने का प्रावधान निहित किया गया है। कुछ समय पूर्व ही इस संबंध में प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा समस्त कलेक्टरों को इस संबंध में पत्र जारी किया गया है और ऐसे मामलों अतिशीघ्र कार्यवाही करने के लिये निर्देशित किया गया है। वहीं अब देखना यह होगा कि सिलौड़ी सरपंच पर किसी तरह की कोई कार्यवाही होती है या फिर इस मामले को भी जिम्मेदार ठंडे बस्ते में डाल देगे। इनका कहना है इस संबंध में तत्काल हमारे द्वारा जांच कराई जायेगी। जांच में उक्त मामला सही पाया जाता है तो आगे की कार्यवाही की जायेगी। शिशिर मेगावत, सीईओ जिला पंचायत कटनी ……………… संबंधित जनशिक्षक को स्कूल समय में स्कूल में ही रहना चाहिये। यदि उनके द्वारा स्कूल समय में पंचायत के कार्य किये जाते है तो यह नियम विरुद्ध है। इस मामले की जांच हमारे द्वारा करवाई जायेगी। पी.के.सिंह. जिला शिक्षा अधिकारी कटनी …….. इस संबंध में संबंधित जन शिक्षक को नोटिस जारी किया जायेगा, और यदि उनके द्वारा पंचायत में उपस्थित रहकर पंचायत के कार्य किये जाते है जो यह नियम विरुद्ध है।
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