ग्यारसपुर वन परीक्षेत्र के अंतर्गत कंपाउंड नंबर 102 अमखोई के जंगलों से लेकर रफ्फू के तालाब के बीच रास्ते के दोनों तरफ बेशकीमती सागौन के पेड़ों को काटा जा रहा है । लगातार ग्यारसपुर क्षेत्र के जंगलों में वन माफिया सक्रिय हैं जो अवैध रूप से जंगल को काटकर जंगलों को वीरान करने में जुटे हुए हैं । ऐसा नहीं है कि वन विभाग, इसकी भनक नहीं है, परंतु कहीं ना कहीं ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि वन विभाग की मिलीभगत, सांठगांठ से ही वन माफिया सक्रिय हैं, वन विभाग के अधिकारी इन माफियाओं पर नहीं लगा पा रहे लगाम, एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी प्रदेश की जनता से प्रतिदिन एक पेड़ लगाने की बात करते हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रकृति के द्वारा लगाए गए हरे भरे जंगलों को उजाडा जा रहा है, और भी क्षेत्र में ऐसे जंगल है जहां जंगलों के बीचो बीच वन माफियाओं की खेती लहरा रही है, और वन विभाग अपनी आंखों पर पट्टी बांधे हुए, इसी प्रकार यदि लगातार क्षेत्र में जंगलों को काट कर खेती की जाएगी तो आने वाले समय में जंगलों का नामो निशान मिट जाएगा गौर करने वाली बात यह है 1 दिन में तो ऐसा होना संभव नहीं है, धीरे धीरे पेड़ों को काटकर समतलीकरण कर खेती के लिए जमीन तैयार की गई होगी, परंतु जमीनी स्तर पर जिनके कंधों पर वन संरक्षण की जिम्मेदाhttps://youtu.be/SOzZaMjAeBUरी है, वह क्या जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी कुंभकरण की नींद सोए हुए हैं ,जिनको इतना भी होश नहीं कि सैकड़ों वीघा के जंगलों को काट कर वन माफियाओं के द्वारा खेती की जा रही है, दूसरी तरफ देखा जाए तो, वन विभाग किसी भी शासकीय योजनाओं को स्थापित करने के लिए 1 इंच की भूमि भी शासन को लेना टेढ़ी खीर साबित होती है ना जाने कितनी बाधाओं से गुजर कर शासन वन भूमि को किसी योजनाएं को स्थापित करने के लिए वन विभाग से ले पाता है, परंतु दूसरी तरफ लगातार क्षेत्र में जंगलों की अवैध कटाई जारी है, जंगलों को काट कर जंगलों को वीरान किया जा रहा है इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी धृष्टराज बने हुए हैं, क्या उन्हें अपनी आंखों से दिखाई नहीं देता है या फिर उनके भी हाथ बंधे हुए जिससे कि वह वन माफियाओं के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहे हैं, एक तरफ प्रदेश के मुखिया हर सभा में एक पेड़ लगाने की बात करते हैं, दूसरी तरफ हरे भरे वृक्षों को काटकर जंगलों को वन माफिया वीरान करने में जुटे हुए हैं।
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